प्रस्तावना
हम सबके पास एक दिन में 24 घंटे होते हैं , न किसी के पास ज्यादा न किसी के पास कम। इन 24 घंटे का हम किस प्रकार उपयोग करते हैं , उसी से अक्सर तय होता है कि हम सफल होंगे या असफल । लेकिन कई बार हम यह नहीं जानते हैं कि हम समय का सबसे अच्छा उपयोग कैसे कर सकते हैं, कहां अपना समय बचा सकते हैं और किस तरह अपने जीवन को सार्थक व सफल बना सकते हैं । इसलिए हमें समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग के सिद्धांतों को जानने और समझने की जरूरत है ।
इस किताब में समय के बेहतरीन उपयोग के 30 सिद्धांत दिए गए हैं जिनको आप अपने जीवन में उतारकर , अपने जीवन को सार्थक, सुखी, संपन्न और सफल बना सकते हैं। चाहे आप सेल्समैन हो या नौकरीपेशा कर्मचारी, चाहे आप ग्रहणी हो या विद्यार्थी, ये सिद्धांत आपकी मदद करेंगे। इन पर अमल करने से आपकी जिंदगी बदल सकती है और आप सफलता के शिखर पर पहुंच सकते हैं ।
डॉ सुधीर दीक्षित ने टाइम मैनेजमेंट की इस पुस्तक को दो खंडों में बांटा है जिनमें पहला खंड में उन्होंने तीन बुनियादी सवाल पूछे हैं और दूसरे खंड में समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग के 30 सिद्धांत दिए हैं ।
खंड 1 : तीन बुनियादी सवाल
पहला बुनियादी सवाल : वर्तमान में समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ?
क्या आपने कभी सोचा है कि वर्तमान में समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है? समय पर काम न करने या न होने पर हम झल्ला जाते हैं, आग बबूला हो जाते हैं ,चिढ़ जाते हैं ,तनाव में आ जाते हैं। समय की इसी कमी के रहते हम हर समय जल्दबाजी और हड़बड़ी में रहते हैं। इसके कारण हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है ,लोगों से हमारे संबंध खराब हो जाते हैं, हमारा मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है और कई बार तो दुर्घटनाएं भी हो जाती है । समय की कमी हमारे जीवन का एक अप्रिय और अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है।
हमारे पूर्वजों को कभी टाइम मैनेजमेंट की जरूरत नहीं पड़ी तो फिर हमें क्यों पड़ रही है। पहले जीवन ज्यादा सरल था क्योंकि उस समय इंसान की जिंदगी घड़ी के हिसाब से नहीं चलती थी। औद्योगिक युग के बाद फैक्ट्री, ऑफिस और नौकरी का जो दौर शुरू हुआ ,उसने मनुष्य को घड़ी का गुलाम बनाकर रख दिया।
पहले जीवन की रफ्तार धीमी थी ,लेकिन अब तेज हो चुकी है। अब हमारे जीवन में इंटरनेट आ गया है जो पलक झपकते ही हमें दुनिया से जोड़ देता है। अब हमारे जीवन में टीवी आ चुका है जिसका बटन दबाते ही हम दुनिया की खबरें जान लेते हैं। अब हमारे पास कारें और हवाई जहाज हैं जिनसे हम तेजी से कहीं भी पहुंच सकते हैं। अब हमारे पास मोबाइल्स हैं जिनसे हम कहीं भी किसी से भी बात कर सकते हैं और उसे देख सकते हैं । इन सभी की बदौलत हम दुनिया से तो जुड़ गए हैं लेकिन शायद खुद से दूर हो गए हैं।
यदि आप समय के बेहतर उपयोग को लेकर बहुत गंभीर हैं, तो इसका समाधान यह है: यदि आप किसी तरह आधुनिक आविष्कारों से मुक्ति पा लें और दोबारा वही पुरानी जीवन शैली अपना लें , तो आपको काफी सुविधा होगी । मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि मोबाइल, टीवी , इंटरनेट, चैटिंग आदि समय बर्बाद करने वाले आविष्कारों का इस्तेमाल कम कर दें। डायबिटीज , हाई ब्लड प्रेशर , कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग की तरह ही समय की कमी भी एक आधुनिक समस्या है जो आधुनिक जीवन शैली का परिणाम है । यदि आप इस समस्या को सुलझाना चाहते हैं तो आपको अपनी जीवन शैली को बदलना होगा। याद रखें , दुनिया नहीं बदलेगी, बदलना तो आपको ही है। यदि आप अपने जीवन शैली और सोच को बदल लेंगे, तो समय का समीकरण भी बदल जाएगा।
दूसरा बुनियादी सवाल : आपके पास वास्तव में कितना समय है?
विधाता ने किसी को कुछ चीज ज्यादा दी है , किसी को कुछ कम दी है । लेकिन समय उसने सबको बराबर दिया है,: एक दिन में 24 घंटे । समय ही एकमात्र ऐसी दौलत है, जिसे आप ना तो किसी बैंक में जमा नहीं कर सकते है ना ही कहीं छिपा सकते। समय के गुजरने पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता, बल्कि यह घड़ी की सुई के साथ लगातार हाथ से निकलता रहता है । आपके हाथ में तो सिर्फ इतना है कि आप समय का कैसा उपयोग करते हैं । अगर सदुपयोग करेंगे, तो अच्छे परिणाम मिलेंगे ; अगर दुरुपयोग करेंगे, तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि हमारे पास वैसे तो दिन में 24 घंटे होते हैं , लेकिन वास्तव में ये हमारे हाथ में नहीं होते। सच तो यह है कि समय के एक बड़े हिस्से पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता । 8 घंटे नींद में चले जाते हैं और 2 घंटे खान-पीन, तैयार होने और नित्य कर्म आदि में चले जाते हैं। यानी हमारे हाथ में दरअसल 14 घंटे का समय ही होता है । दूसरे शब्दों में, जीवन में सिर्फ 58% समय पर हमारा नियंत्रण संभव है, जबकि 42% समय हमारे नियंत्रण से बाहर होता है। समय अनमोल है, क्योंकि वास्तव में समय ही संसार की एकमात्र ऐसी चीज है, जो सीमित है । अगर आप दौलत गवां देते हैं, तो दोबारा पा सकते हैं। घर गवाँ देते हैं तो दोबारा पा सकते हैं , लेकिन समय गवा देते हैं तो आपको वही समय दोबारा नहीं मिल सकता। हमारे जीवन में बहुत कम समय है और यह समय सीमित है। अगर हमें जीवन में कुछ बडा करना या हासिल करना चाहते हैं, तो यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि हम समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग को करना सीख लें ,ताकि अपने सीमित समय में हम वह सब हासिल कर सकें जो हासिल करना चाहते हैं चाहे वह दौलत या शोहरत हो , सुख या सफलता हो ।
तीसरा बुनियादी सवाल : आपका समय की कीमत क्या है ?
कहते हैं कि, “ समय ही धन है “ । लेकिन यह कहावत पूरी तरह सच नहीं है। सच तो यह है कि समय सिर्फ एक संभावित धन है। अगर आप अपने समय का सदुपयोग करते हैं, तभी आप धन कमा सकते हैं । वहीं इसका दूसरा अर्थ यह है अगर आप समय का दुरुपयोग करते हैं, तो आप धन कमाने की संभावना को गवां देते हैं।
हम ऐसा क्यों करते हैं , इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम में से अधिकतर लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि हमारे समय की कीमत क्या है। जो हम समय बर्बाद कर रहे हैं, उसकी कीमत क्या है।
कैसे हम अपने समय की कीमत का पता लगाएं । समय का मूल्य ज्ञात करने का फार्मूला होता है-
आपका 1 घंटे का मूल्य है = आपकी आमदनी / काम के घंटे
आपकी जितनी महीने की आमदनी है उसको काम के घंटे से अगर हम भाग कर दे देते है तो आपके समय के घंटे का मूल्य निकल जाता है।
इसे उदाहरण से समझते हैं, अगर आप हर महीने ₹20000 कमाते हैं और इसके लिए आप महीने में 25 दिन, 8 घंटे काम करते हैं यानी आप कुल मिलाकर 200 घंटे काम करते हैं। इस स्थिति में आपके 1 घंटे का मूल्य होगा: 20000 / 200 = ₹100
इस उदाहरण से, यदि आप रोजाना 1 घंटे का समय बर्बाद करते हैं तो आपको हर दिन ₹100 का नुकसान होता है। यानी 1 साल में ₹36000 का । यदि आप हर दिन 2 घंटे बर्बाद करते हैं तो इसका अर्थ है कि आपको हर साल ₹72000 का नुकसान हो रहा है।
यह अभ्यास करने के बाद आपकी आंखें खुल जाएगी । इस फार्मूले का उपयोग करके आप अपने जीवन में चमत्कारी परिवर्तन ला सकते हैं क्योंकि इससेआपको पता चल जाएगा कि आपके समय की कीमत कितनी है औरआपके काम का हर मिनट कितना कीमती है और उसे बर्बाद करके आप अपना कितना आर्थिक नुकसान कर रहे हैं ।
सिद्धांत 2 :- आर्थिक लक्ष्य बनाएं
अगर आपका कोई लक्ष्य ही नहीं है, तो आपकी सफलता संदिग्ध है । अगर आप यह नहीं जानते हैं कि आप कहां पहुंचना चाहते हैं, तो आप कहीं नहीं पहुंच सकते । आपको यह भी पता होना चाहिए कि आर्थिक क्षेत्र में आप कहां पहुंचाना चाहते हैं, तभी आप वहां तक पहुंच सकते हैं। यदि आपकी कोई मंजिल ही नहीं है, तो आप वहां तक पहुंचने की योजना कैसे बनाएंगे और उसे दिशा में कैसे चलेंगे?
अगर आप जीवन को बेहतर करना चाहते हैं तो यह जानना बहुत जरूरी है कि लक्ष्यों के बिना ये नहीं होने वाला। लक्ष्य दो तरह के होते हैं- साधारण लक्ष्य और निश्चित लक्ष्य । साधारण लक्ष्य इस प्रकार के होते हैं- “ मैं ओर ज्यादा मेहनत करूंगा”, “ मैं अपनी कार्य कुशलता बढ़ाऊंगा”,” मैं अपनी योग्यता में वृद्धि करूंगा” इत्यादि। दूसरी ओर निश्चित लक्ष्य इस प्रकार के होते हैं- “ मैं हर दिन 8 घंटे काम करूंगा । “या “मैं हर महीने ₹20000 काम आऊंगा” या “ मैं सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग का कोर्स करूंगा” । निश्चित लक्ष्य वे होते हैं जिन्हें नापा जा सकता है और उनकी समय सीमा होती है । लक्ष्य जितना अधिक स्पष्ट होता है, आपके सफल होने की संभावनाओं में उतनी ही ज्यादा बढ़ोतरी होती है।
आर्थिक लक्ष्यों को बनाना बहुत ही सरल है। आपको पहले तो स्पष्ट रूप से यह तय करना है कि आप हर महीने कितनी धनराशि कमाना चाहते हैं और फिर गणित की सहायता से यह पता लगाना है कि इस धनराशि को कैसे कमाया जाए ,यानि कितना काम करके कमाया जाए।
उदाहरण के लिए – अगर कोई दुकानदार हर महीने ₹10000 कमाना चाहता है और उसे एक प्रोडक्ट बेचने पर ₹50 लाभ होता है , तो गणित आसान है उसे हर महीने 200 प्रोडक्ट ( 10000 / 50 = 200 ) बेचने हैं । यदि वह महीने में 25 दिन काम करता है तो उसे हर दिन 8 प्रोडक्ट बेचने होंगे। अगर दुकानदार शाम तक आठ प्रोडक्ट बेच लेता है तो वह जान जाएगा कि उसने आज का लक्ष्य पूरा कर लिया है, परंतु अगर वह 8 प्रोडक्ट नहीं बेच पता है तो उसे यह एहसास हो जाएगा कि मासिक लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए अगले दिन उसे 8 से भी ज्यादा प्रोडक्ट बेचने होंगे ।
लक्ष्य बनाना और उनके संदर्भ में प्रगति की जांच करते रहना बेहद जरूरी है । हमें लगता है कि हम बहुत मेहनत कर रहे हैं। हमें लगता है कि हम जितना कर रहे हैं ,उससे ज्यादा नहीं कर सकते। लेकिन, याद रखें मेहनत का मतलब हमेशा सफलता नहीं होता। सफलता पाने के लिए यह जरूरी है कि मेहनत सही दिशा में की जाए । आर्थिक विश्लेषण से हमें यह पता चल जाता है कि हम सही दिशा में मेहनत कर रहे हैं या नहीं ।
सिद्धांत 3 :-सबसे महत्वपूर्ण काम सबसे पहले करें।
अक्सर हमारी दिनचर्या इस तरह की होती है कि हमारे सामने जो काम आता है, हम उसे करने लग जाते हैं। इस वजह से हमारा सारा समय छोटे-छोटे कामों को निपटने में ही चला जाता है। हमारे महत्वपूर्ण काम सिर्फ इसलिए नहीं हो पाए क्योंकि हम महत्वहीन कामों में उलझे रहते हैं। महत्वाकांक्षी व्यक्ति को इस बारे में सतर्क रहना चाहिए क्योंकि सफलता पाने के लिए यह आवश्यक है कि महत्वपूर्ण काम पहले किए जाएं। हमेशा याद रखें कि सफलता, महत्वहीन नहीं बल्कि महत्वपूर्ण कामों से मिलती है, इसलिए अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट करें और अपना समय महत्वहीन कामों में ना गवाएं ।
हर महत्वाकांक्षी व्यक्ति को अपने सबसे महत्वपूर्ण काम सबसे पहले करने चाहिए। इसके लिए उसे यह पता लगाना होगा कि सबसे महत्वपूर्ण काम कौन से हैं । उसके पास उसकी प्राथमिकताओं की स्पष्ट योजना होनी चाहिए । ऐसा करना बहुत ही आसान है, एक डायरी में ए ,बी और सी शीर्षक के तीन कॉलम बना लें। ए कॉलम में सबसे महत्वपूर्ण काम रखें, जिन्हें आप अनिवार्य मानते हैं। बी कॉलम में ऐसे काम रखें जो अनिवार्य तो नहीं है, परंतु महत्वपूर्ण है। सी कलम में ऐसे सामान्य काम रखें जो ना तो अनिवार्य है न हीं महत्वपूर्ण। दिन में सबसे पहले ए कलम के कामों को करना शुरू करें । ए कॉलम के काम खत्म होने के बाद बी कलम के काम को करना शुरू करें । बी कॉलम के काम खत्म होने के बाद सी कॉलम की ओर जाएं। इस तरह से हमारे महत्वपूर्ण काम होना शुरू हो जाएंगे और हमारा समय महत्वहीन कामों में लगने से बच जाएगा । इसलिए महत्व के क्रम में अपनी प्राथमिकताओं की कार्य सूची बनाना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है ।
सिद्धांत 4 :- यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें
यात्रा के दौरान ज्यादातर लोग या तो मोबाइल पर गाने सुनते हैं या फिर अखबार पढ़ते हैं या गपशप करते हैं। वह यह नहीं जानते कि इस दौरान प्रेरक पुस्तक पढ़कर, शैक्षणिक टिप्स सुनकर या कोई अन्य महत्वपूर्ण काम करके वह अपने लक्ष्य तक ज्यादा तेजी से पहुंच सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि आमतौर पर सेल्समैन का 45% कामकाजी समय यात्रा में गुजरता है। जाहिर है, जो सेल्समैन यात्रा के समय का बेहतर उपयोग करना सीख लेता है, वह अपने साथियों की तुलना में ज्यादा सफल होता है।
इंतजार करना किसी को अच्छा नहीं लगता, परंतु कई बार हमें मजबूरन किसी व्यक्ति या बस/ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है, इसलिए हमारे पास ऐसे छुटपुट कामों की सूची होनी चाहिए जिनहैं हम इंतजार करते समय निपट सकतें हैं ।
सिद्धांत 5 :- काम सौंपना (डेलिगेशन ) सीखें ।
ज्यादातर लोगों के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि वह हर काम खुद करने की कोशिश करते हैं। वे दूसरों को काम नहीं सौंपना चाहते क्योंकि उन्हें लगता है , “ मैं इसे ज्यादा अच्छी तरह से कर सकता हूं” या “ मैं इसे दूसरों से ज्यादा जल्दी कर सकताहूं। “ उन्हें यह समझ ही नहीं आता है कि बड़ी सफलता पाने के लिए उन्हें दूसरों को काम सौंपना ही होगा, चाहे यह उन्हें पसंद हो या ना हो । प्रगति की राह में एक ऐसा मोड़ आता है,जहाँ भविष्य में प्रगति करने के लिए दूसरों को काम सौंपना अनिवार्य हो जाता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप काम सौंपने की कला सीख लें। काम सौंपना की कला में निपुण होने के लिए सिर्फ दो चीजों की जरूरत होती है – यह पता लगाना कि कौन से काम सौंपे जा सकते हैं और किसे । बस इतनी सावधानी बरतें कि अति गोपनीय या अत्यंत महत्वपूर्ण काम दूसरों को सौंपने की बजाय खुद करें।
सौंपे गए काम की प्रगति की निगरानी करना अच्छी बात है लेकिन यह भी ध्यान रखें कि ज्यादा निगरानी में आपका समय बर्बाद होता है और सामने वाले को बुरा भी लग सकता है कि आप उसकी क्षमता या योग्यता पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। तो इसीलिए निगरानी करें लेकिन उस पर ज्यादा समय ना लगाएं ।
सिद्धांत 6:- पैरेटो के 20 – 80 के नियम को समझें।
पैरेटो का नियम अप्रत्यक्ष रूप से हमें पूर्णता या परफेक्शन के प्रति भी सावधान करता है। यह बताता है कि हम 80% काम , 20% समय में ही पूरा कर लेते हैं और बचे हुए 20% काम में 80% समय बर्बाद करते हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि हम उस काम को आदर्श तरीके से करना चाहते हैं । कई बार परफेक्शन या पूर्णता का आग्रह समय की बर्बादी का कारण बन जाता है और व्यक्ति को असफल कर देता है।
यदि आपको लगता है कि आप कड़ी मेहनत करने के बावजूद सफल नहीं हो रहे हैं तो पैरेटो के सिद्धांत को आजमा कर देखें। इससे आप यह जान जाएंगे कि आप किस काम में कितनी मेहनत कर रहे हैं।सफलता के लिए यह पता लगाना बहुत जरूरी है किअपने लक्ष्यों का पीछा करने में आप कितना समय लगा रहे हैं और छोटे-छोटे कामों में कितना समय यूं ही बर्बाद कर रहे हैं।
अक्सर ऐसा होता है कि हम अपना समय छोटे-छोटे कामों में लगा देते हैं। हम यह सोचते हैं कि पहले आसान और छोटे काम निपटा लें। इसके बाद आराम से अपने महत्वपूर्ण या बड़े काम निपटा लेंगे । दरअसल बाद में जाकर हमें इस दुखद तथ्य का एहसास होता है कि महत्वपूर्ण या बड़े कामों के लिए हमारे पास समय बचा ही नहीं है । यदि आप पैरेटो के सिद्धांत को याद रखेंगे तो ऐसा कभी नहीं होगा।
आगे बढ़ने से पहले आपको यह देखना होगा कि आपके वे 20% काम कौन से हैं, जिनसे 80 % रिजल्ट आता है और उन्हीं कामों को सुबह सबसे पहले करें , उसके बाद बाकी काम करें।
सिद्धांत 7 :- पार्किंसन के नियम का लाभ लेना सीखें।
पार्किंसन का नियम कहता है कि “ काम उतना ही फैल जाता है जितना इसके लिए समय होता है।” इसका अर्थ है यह है कि हमारे पास जितना काम होता है, हमारा समय भी उसी के अनुरूप फैला या सिकुड़ता है। यानी अगर हम कम समय में ज्यादा काम करने की योजना बनाएंगे तो समय फैल जाएगा और वह सारे काम इस अवधि में पूरे हो जाएंगे। दूसरी ओर अगर हम उतने ही समय में कम काम करने की योजना बनाएंगे तो समय सिकुड़ जाएगा और उतनी ही अवधि में हम कम काम कर पाएंगे।
लक्ष्य जितना बड़ा होगा उपलब्धि भी उतनी ही बड़ी होगी। जो व्यक्ति बड़े लक्ष्य बनता है, वह अपने सीमित समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करने में सफल हो जाता है। जबकि छोटे लक्ष्य बनाने वाला अपने समय का सीमित उपयोग ही कर पता है। काम की प्रकृति में भी समय के फैलने या सिकुड़ने का संबंध होता है। जब किसी काम में हमारी रुचि होती है तो वह काम जल्दी हो जाता है। दूसरी ओर जब कभी किसी काम में हमारी रुचि नहीं होती तो वह देर से होता है। इसीलिए यह कहा जाता है कि वह व्यक्ति सौभाग्यशाली है जो अपने काम से प्रेम करता है, क्योंकि वह कम समय में ज्यादा काम कर सकता है ,ज्यादा अच्छी तरह से कर सकता है और इसी वजह से ज्यादा सफल भी हो सकता है।
सिद्धांत 8:- अपने प्राइम टाइम में काम करें।
टेलीविजन के प्राइम टाइम की अवधारणा से हम यह सीख सकते हैं कि हमारे आपके लिए भी दिन के 24 घंटे एक से नहीं होते। दिन के किसी खास समय आपकी ऊर्जा, विचार-शक्ति, उत्साह और कार्य क्षमता बाकी समय की तुलना में अधिक होती है। यही आपका प्राइम टाइम है।
आपका प्राइम टाइम कौन सा है, यह पहचाना इसलिए जरूरी है, ताकि आप अपने समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग कर सकें। अपने सबसे महत्वपूर्ण या रचनात्मक काम इसी दौरान करें, ताकि वह अच्छी तरह से तथा जल्दी हो सके। अपने प्राइम टाइम में छुटपुट काम करके उसे बर्बाद ना करें, क्योंकि छुटपुट काम तो आप बाकी समय में भी कर सकते हैं।
अक्सर इस बात को नजरअंदाज कर दिया जाता है कि समय की मात्रा और गुणवत्ता में कोई सीधा संबंध नहीं होता। कई बार तो 1 घंटे में ही इतना कुछ हो जाता है जो आमतौर पर एक दिन में भी नहीं होता। याद रखें, समय की मात्रा के बजाय उसकी सघनता और गुणवत्ता ज्यादा महत्वपूर्ण है।
ध्यान रखें वह व्यक्ति ज्यादा सफल नहीं होता जो दिन में 8 घंटे काम करने का लक्ष्य बनता है। ज्यादा सफल तो वह व्यक्ति होता है जो दिन में 8 या 9 काम करने का लक्ष्य बनाता हैं। दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि पहला व्यक्ति समय की मात्रा को महत्व देता है और दूसरा समय की गुणवत्ता को ।। और इसी से उनकी सफलता में जबरदस्त फर्क पड़ता है ।
सिद्धांत 9 :- स्वयं को व्यवस्थित करें ।
अव्यवस्थित जीवन के कारण हमारे सामने कई मुश्किलें उत्पन्न होती है। इनमें से प्रमुख मुश्किल यह है कि हमारा समय न चाहते हुए भी अनावश्यक कामों को करने में बर्बाद हो जाता है और दुखद बात यह है कि हम खुद ही इसके लिए दोषी होते हैं। अव्यवस्था का सबसे आम उदाहरण है किसी कागज या फाइल का न मिलाना। अनुमान के अनुसार, ऑफिस में काम करने वाले लोग किसी कागज या फाइल को खोजने में हर दिन लगभग 30 मिनट बर्बाद करते हैं। चीजों को खोजने पर वो ऐसे स्थान पर मिलती है, जहां उनको होना ही नहीं जाना चाहिए था।
अव्यवस्था का एक और रूप है बीमारी । असंतुलित भोजन, अनियमित नींद, चिंता, तनाव और हानिकारक आदतों की वजह से अक्सर हम खुद ही बीमारियों को आमंत्रित करते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि बीमारी की वजह से हमारे कई दिन बर्बाद हो सकते हैं ,क्योंकि इस दौरान हम कोई रचनात्मक या चुनौती पूर्ण कार्य करने की स्थिति में नहीं होते हैं। बीमारी की वजह से समय की बर्बादी दुखद है। संतुलित आहार तथा नियमित व्यायाम द्वारा अधिकांश बीमारियों से बचा जा सकता है।
अव्यवस्था का एक ओर रूप है :आवश्यकता से अधिक या कम भोजन करना। अधिक भोजन करने के बाद हम सुस्त पड़ जाते हैं। वहीं जरूरत से कम भोजन करना भी ठीक नहीं होता है क्योंकि ऐसा करने पर हमें कमजोरी या सरदर्द होने लगता है। हम जल्दी थक जाते हैं, चिड़चिडे हो जाते हैं और इस वजह से अपने काम को पूरी एकाग्रता तथा ऊर्जा के साथ नहीं कर पाते ।
अव्यवस्था का एक ओर रूप है : अनावश्यक चर्चा, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष। फोन पर चर्चा करने से पहले यदि हमारे पास आवश्यक बातों की बिंदुवार योजना हो तो चर्चा सार्थक होती है परंतु अगर हम फोन पर गैर जरूरी बातें करते रहें और जरूरी बातें भूल जाए तो निश्चित रूप से यह हमारी लापरवाही का सूचक और समय की बर्बादी का उदाहरण है ।
अव्यवस्था का एक ओर आम उदाहरण है: बिना अपॉइंटमेंट लिए किसी से मिलने चले जाना। यदि आपने अपॉइंटमेंट नहीं लिया है तो हो सकता है आपको मिलने के लिए आवश्यक इंतजार करना पड़े और आपका समय बर्बाद हो।
यह याद रखें कि अगर आपकी दिनचर्या व्यवस्थित है तो आपका जीवन भी व्यवस्थित होगा और जब आपका जीवन व्यवस्थित होगा तो आप सहजता से समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग कर पाएंगे
सिद्धांत 10 :- टाइम टेबल बनाएं।
जिस तरह से पैसे की बर्बादी को रोकने के लिए बजट बनाना जरूरी है । इस तरह समय की बर्बादी को रोकने के लिए टाइम टेबल बनाना जरूरी है।
टाइम टेबल दो तरह का हो सकता है : पूर्ण टाइम टेबल और संक्षिप्त टाइम टेबल। पूर्ण टाइम टेबल में आप पूरे 24 घंटे की योजना बनाते हैं जबकि संक्षिप्त टाइम टेबल में आप सिर्फ सीमित समय की योजना बनाते हैं। पूर्ण टाइम टेबल बनाने और उसका पालन करने की तुलना में, संक्षिप्त टाइम टेबल बनाना और शुरुआत में उसका पालन करना आसान है। यह व्यावसायिक लक्ष्य हासिल करने का बेहतरीन तरीका है इस बात का ध्यान रखें की संक्षिप्त टाइम टेबल आपको सिर्फ एक दिशा में सफलता दिलाता है जबकि पूर्ण टाइम टेबल जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है क्योंकि वह संतुलित और संपूर्ण होता है।
सिद्धांत 11:- कर्म में जुट जाएं।
काम से जी चुराने का मूलभूत कारण यह है कि हम स्वभाव से आलसी होते हैं और हमारा मन हमें मनोरंजन या आनंद की आसान तथा आकर्षक राह की तरफ खींचता है। हम यह भूल जाते हैं कि सफलता की राह मुश्किलों से भरी होती है, जिस पर चलने का श्रम करने के लिए हमें अपने मन पर काबू पाना होगा, अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत करना होगा और लक्ष्य की तरफ लगातार बढ़ता होगा।
इस संबंध में सबसे अच्छी सलाह यह है, ‘ कोई काम शुरू करते समय अपने मूड से सलाह ना लें।’ यानी अपने मूड के हिसाब से नहीं बल्कि अपने लक्ष्य और योजनाओं के अनुसार कम करें।
अगर आप भविष्य में सफलता की फसल काटना चाहते हैं ,तो आपको उसके लिए बीज आज बोने होंगे। अगर आप आज बीज नहीं बोएंगे, तो भविष्य में फसल काटने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। पूरी सृष्टि कर्म और फल के सिद्धांत पर चलती है, इसलिए आपको अपने कर्म के अनुपात में ही फल मिलेंगे।
यदि आप सफलता चाहते हैं तो कर्म में जुट जाएं और तब तक जुटे रहे, जब तक कि आप सफल न हो जाए।
सिद्धांत 12 :- अपनी कार्य क्षमता बढ़ाए।
अपनी कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए आपको अपने चुने हुए क्षेत्र में लगातार सीखना होगा और निरंतर नए-नए उपायों को आजमाना होगा, जिनका इस्तेमाल करके आप अधिक योग्य, अधिक तेज और अधिक सक्षम बना सकें। इसके लिए आपको उसे क्षेत्र के महारथियों से सलाह लेना चाहिए या कम से कम उन्हें काम करते देखना चाहिए।
कार्य क्षमता बढ़ाने की पहली शर्त है – इच्छा। आपके भीतर इसकी इच्छा होनी चाहिए। ज्यादातर लोगों को इस काम में बड़ी दिक्कत आती है। उनका अहंकार यह मानने को तैयार ही नहीं होता कि कोई दूसरा उससे ज्यादा सक्षम है । उन्हें हमेशा यही लगता है कि वह जितना कर रहे हैं, उससे ज्यादा हो ही नहीं सकता। वह हमेशा कम सक्षम लोगों से अपनी तुलना करके खुद को श्रेष्ठ साबित करते हैं ।
कार्य क्षमता बढ़ाने की दूसरी शर्त है – ज्ञान। आपको यह ज्ञान होना चाहिए कि कार्य क्षमता कैसे बढ़ाई जा सकती है। इस संदर्भ में थोड़ा सोच विचार करें। अपने क्षेत्र के माहिर लोगों से सीखें, पुस्तक पढ़े ,सेमिनार में जाएं। जब आप में अपनी क्षमता बढ़ाने की प्रबल इच्छा होगी और आप इस दिशा में मेहनत करने को तैयार होंगे तो आपको उपाय अवश्य मिल जाएगा।
दूसरों से खासतौर पर अपने से कम सक्षम लोगों से तुलना करने से कोई फायदा नहीं होगा। अगर तुलना ही करनी है तो अपने से ज्यादा सक्षम लोगों से करें। इससे भी बेहतर उपाय यह है कि अपने पिछले प्रदर्शन से तुलना करें। यह सोचे कि अगर कल आपने कोई काम डेढ़ घंटे में किया था ,तो आज उसे सवा घंटे में कैसे किया जा सकता है। बस ध्यान इतना रखें कि काम की गुणवत्ता में कमी नहीं आने चाहिए। आपका लक्ष्य न्यूनतम समय में सर्वश्रेष्ठ कार्य करना होना चाहिए ,क्योंकि हर क्षेत्र के सफलतम व्यक्ति इसी तरह कार्य करते हैं।
सिद्धांत 13 :- डेडलाइन तय करें।
डेडलाइन यानी आखिरी समय-सीमा। आपने खुद अपने जीवन में महसूस किया होगा कि जब आपको डेडलाइन दे दी जाती है कि यह काम अमुक समय तक हो जाना चाहिए तो आपकी हर इंद्रियां सक्रिय हो जाती है। आपके भीतर एड्रीनलीन का स्राव हो जाता है और आपका आलस भाग जाता है। आप सक्रिय हो जाते हैं और पूरा ध्यान केंद्रित करके काम में जुट जाते हैं।
बीमा कंपनियां डेडलाइन के हथकंडे को बखूबी आजमाती है । वे विज्ञापन देती है कि अमुक बीमा योजना एक महीने बाद बंद हो रही है। अगर इसका लाभ लेना है तो तत्काल पॉलिसी ले लें । कार कंपनियों और दूसरी कंपनियां भी डेड लाइन का महत्व पहचानते हुए विज्ञापन देती है। ग्राहक अपने फायदे को देखते हुए बीमा पॉलिसी या कार खरीद लेता है। जब आप ग्राहक को बता देते हैं कि अमुक तारीख डेडलाइन है, तो वह उस तारीख तक निर्णय लेने के लिए मजबूर हो जाता है। वरना आप और मैं दोनों ही जानते हैं कि ग्राहक से निर्णय करवाना आसान नहीं होता। अगर डेडलाइन ना दी जाए तो शायद वह जिंदगी भर निर्णय नहीं ले पाएगा।
कुछ लोग यह मानते हैं कि डेड लाइन से काम की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। उनकी बात कुछ हद तक सही है लेकिन यह तभी सही होती है,जब आखिरी मिनट पर काम शुरू किया जाए । दूसरी ओर अगर डेड लाइन के आधार पर पहले से ही योजना बना ली जाए, तो काम की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आएगी। डेड लाइन के महत्व को पहचाने और इसका उपयोग करके अपनी क्षमता व गति को बढ़ा लें।
सिद्धांत 14 :- समय खरीदना सीखें ।
आपके लिए कौन सी चीज ज्यादा महत्वपूर्ण है, समय या धन । आपको इन दोनों में से किसे बढ़ाने की ज्यादा जरूरत है? यदि आप समय के बजाय पैसे बचाने की ज्यादा कोशिश करते हैं तो इसका मतलब यह है कि आप अपने समय को ज्यादा महत्व नहीं देते। जो लोग समय को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं, वह समय बढ़ाने की भरसक कोशिश करते हैं। एक तरह से कहा जाए तो वह समय को खरीद लेते हैं।
एक चीनी सूक्ति में कहा गया है कि समय को नहीं खरीदा जा सकता। लेकिन यकीन मानें आप समय खरीद सकते हैं। कंपनियों के मालिक यही काम तो करते हैं। कंपनी का मालिक प्रोडक्ट का उत्पादन नहीं करता, वितरण नहीं करता, उसका प्रबंध नहीं करता, उसे नहीं बेचता, लेकिन मुनाफा उसी को होता है। कंपनी का मालिक कर्मचारियों को वेतन देकर, उनसे अपना मनचाहा काम करवाता है। दूसरे शब्दों में, कंपनी का मालिक दूसरों का समय खरीद लेता है।
यह डेलिगेशन या काम सौपने से अलग बात है। डेलिगेशन में आप समय बचाने के लिए कम महत्वपूर्ण काम अपने अधीनस्थों को सौंपते हैं, जबकि समय खरीदते समय आप कम महत्वपूर्ण काम बाहरी लोगों से करवाते हैं। यदि आप के 1 घंटे का मूल्य ₹100 है और सामने वाला आपका 1 घंटे का काम ₹10 में कर रहा है, तो समझदारी इसी में है कि आप उससे वह काम करवा ले। ताकि आप उसे बचे हुए समय में ज्यादा उपयोगी और मूल्यवान काम कर सकें।
आत्मनिर्भर लोगों को समय खरीदने में बड़ी दिक्कत आती है क्योंकि वह हर काम खुद करना चाहते हैं। कंजूस लोगों को भी इसमें समस्या आती है। वह पैसे बचाने के चक्कर में खुद ही छोटे-मोटे काम करना चाहते हैं। भले ही इस चक्कर में उनके बड़े और ज्यादा महत्वपूर्ण काम ना हो पाए। इसका एक रोचक उदाहरण है , क्या आपने कभी सोचा है कि साड़ी की दुकान पर पुरुष मोलभाव क्यों नहीं करते और महिलाएं घंटे तक मोलभाव क्यों करती है। वैसे तो इसके कई कारण हैं लेकिन इसका प्रमुख कारण है- समय। अधिकतर पुरुषों के पास समय की कमी होती है जबकि महिलाएं तुलनात्मक रूप से फुर्सत में होती है।
सिद्धांत 15 :- भावी लाभ के लिए वर्तमान में त्याग करें ।
समय को लेकर हम सभी के पास विकल्प होता है. हम चाहे तो उसका दुरुपयोग कर सकते हैं या इसका सदुपयोग कर सकते हैं. हम चाहे वर्तमान पल में मौज मस्ती में बर्बाद कर सकते हैं या इस पल को सुनहरे भविष्य की सीढ़ी बना सकते हैं। हम चाहे तो आलस में आकर कम काम करके अधिकतम आराम कर सकते हैं या कर्मठता से अधिकतम काम करके अपने समय का निवेश कर सकते हैं।हर सफल की आदत होती है कि वह व्यक्ति भावी लाभ के लिए, वर्तमान समय का निवेश करता है। जिस तरह कंपनियां भावी सफलता के लिए धन का निवेश करती है। इस तरह व्यक्ति भावी सफलता के लिए समय का निवेश करते हैं।
दरअसल हम सभी के पास एक दिन में 24 घंटे का समय होता है। मुकेश अंबानी के पास भी और छगनलाल के पास भी। महत्वपूर्ण सवाल तो यह है कि आप उस समय में क्या करने का विकल्प चुनते हैं। यह इस बात से तय होता है कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है, क्षणिक सुख या भावी सफलता। आपका भविष्य भी इन्हीं विकल्पों पर निर्भर करता है कि आप इनमें से कौन सा विकल्प चुनते हैं।
सिद्धांत 16 :- निश्चित समय पर काम करें।
हमारे शरीर में एक घड़ी होती है जिसे बायोलॉजिकल क्लॉक कहा जाता है। जब आप निश्चित समय पर काम करने की आदत डाल लेते हैं तो उस समय आपका शरीर और मन दोनों ही उस काम को करने के लिए पूरी तरह तैयार होते हैं। अगर आप सुबह ठीक 6:00 बजे घूमने जाते हैं तो शरीर इसके लिए पूरी तरह तैयार होता है और आपको इसमें आलस काम आता है। दूसरी ओर, अगर घूमने का कोई निश्चित समय नहीं है तो आप आसानी से आलस के शिकार हो जाते हैं।
निश्चित समय पर अति आवश्यक कामों को करने की आदत डालने के कई फायदे हैं-
1 .आपको वह काम करने में आलस नहीं आता है और आप आदतन बिना सोचे समझे उसे करने में जुट जाते हैं।
- आदत पड़ने पर शरीर और मन पूरी तरह सक्रिय होकर काम को जड़ी पूरा करने में सहयोग देते है।
- आपको उस काम को करने में आनंद आने लगता है जिससे काम ओर भी सरल हो जाता है।
- समय के साथ-साथ आप उसे काम को जल्दी या ज्यादा अच्छी तरह से करने के तरीके खोजने लगते हैं।
- जब आप नियमित एक निश्चित तंत्र में चलते हैं तो प्राकृतिक शक्तियों भी आपकी मदद करने लगती है। पूरा ब्रह्मांड एक निश्चित तंत्र में काम करता है आपको भी ऐसा ही करना चाहिए।
सिद्धांत 17:- समय की बर्बादी के गुरुत्वाकर्षण नियम को जाने
यदि आप हवा में छलांग लगाएंगे तो क्या होगा, पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आप नीचे आ जाएंगे। यही समय के मामले में भी होता है। जैसे ही आप कोई महत्वपूर्ण काम शुरू करते हैं, वैसे ही बाधाओं की गुरुत्वाकर्षण शक्ति सक्रिय हो जाती है और आपको नीचे धकेलना लगती है। दूसरे लोग आकर आपके काम में विघ्न डालते हैं।
इस दुनिया में दूसरों की तरक्की देखकर टांग खींचने , दूसरों के पर कतरने की परंपरा है। इसलिए आपका ऊपर उठना आपके आसपास के लोगों को, रिश्तेदारों को पसंद नहीं आएगा और वह उसमें अपनी ओर से बाधा डालने की पूरी-पूरी कोशिश करेंगे।
इससे बचने का उपाय बहुत ही सरल है किअपने मुंह को बंद रखें। किसी को भी यह न बताएं कि आप कोई महत्वपूर्ण कार्य करने वाले हैं। आपको एक नई आदत डाली है जिसमें आप कितने ऊपर पहुंचाना चाहते हैं, डींगें हाँकने में या अपनी योजना बताने के प्रलोभन से बचने की । इससे आपके इरादे के बारे में किसी को भी पता नहीं चल पाएगा और आप बहुत ही अनावश्यक अड़चनों से बच जाएंगे। किसी को यह पता न चलने दें कि आप ऊपर उठने की कोशिश कर रहे हैं। वरना आपको नीचे खींचने में वह अपनी पूरी शक्ति लगा देंगे। हर अच्छे काम में बाधायें हमेशा आती है, इसीलिए पहले से ही उसके लिए तैयार रहें और उनसे निपटने की योजना पहले से ही बना लें ।
सिद्धांत 18 :- न्यूटन के गति के पहले नियम का लाभ लें।
न्यूटन का गति का पहला नियम वस्तुओं पर ही नहीं, व्यक्तियों पर भी लागू होता है। आप जिस अवस्था में हैं उसी में रहेंगे, जब तक की बाहरी बल का प्रयोग न हो। यह बाहरी बल कहां से आता है, या तो दूसरों के दबाव से या फिर आपके अनुशासन से, आपकी स्वयं प्रेरणा से।
यहीं पर समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का दूसरा सिद्धांत काम आता है – आर्थिक लक्ष्य बनाएं। यही आर्थिक लक्ष्य आपको निरंतर प्रेरित करता है, ताकि आप बाहरी बल यानी अनुशासन का प्रयोग करके अपनी अवस्था को बदल लें। आपकी आज की आर्थिक स्थिति चाहे जैसी हो ,आप अनुशासन का प्रयोग करके उसे हमेशा बेहतर बना सकते हैं। जिम रॉन की बात हमेशा याद रखें , ‘अनुशासन ही लक्ष्य तथा सफलता के बीच की कड़ी होता है।’
सच तो यह है कि आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का काम आपको खुद ही करना होगा। दूसरे लोगों को क्या पड़ी है जो वह आपके जीवन को बेहतर बनाने के लिए आप पर दबाव डालें। आदमी घड़ी में चाबी, घड़ी की नहीं बल्कि अपनी आवश्यकता के लिए भरता है। दूसरे लोग तो आपकी भलाई के लिए नहीं, बल्कि उनकी खुद की भलाई के लिए आप पर दबाव डालेंगे। वह आपसे अपना काम निकलवाने के लिए आप पर दबाव डालेंगे। इसलिए यह बात अच्छी तरह समझ लें कि अनुशासन में रहने और मेहनत करने की जिम्मेदारी आपकी है। अनुशासन का इस्तेमाल करके प्रगति की राह पर चल पड़े और सामने आने वाली हर बाधा को दूर करते जाएं।
सिद्धांत 19 :- यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपने कितने समय काम किया महत्वपूर्ण तो परिणाम है।
यह बेहद महत्वपूर्ण सिद्धांत है क्योंकि अक्सर यहीं पर गलतफहमी का अंदेशा रहता है। कर्मचारी अक्सर महसूस करते हैं कि वह 8 घंटे काम करते हैं, इसलिए उनकी तनख्वाह बढ़ानी चाहिए। दूसरी ओर कंपनी के मालिक सोचते हैं कि इस आदमी ने ₹5000 का काम किया है और इसे ₹8000 तनख्वाह पहले से मिल रही है, इसलिए इसकी तनख्वाह बढ़ाने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय अगर संभव हो तो उसकी तनख्वाह कम कर देनी चाहिए या उसे नौकरी से निकाल देना चाहिए। कर्मचारी के लिए महत्वपूर्ण पैमाना यह है कि उसने कितने समय काम किया, जबकि कंपनी के मालिक के लिए महत्वपूर्ण पैमाना यह है कि उसने कितना मूल्यवान परिणाम दिया। मानसिकता के इस अंतर को कभी ना भूले क्योंकि आपका क्षेत्र चाहे जो हो, सबसे सफल लोगों का ध्यान हमेशा परिणाम पर केंद्रित होता है। यह बात अच्छी तरह समझ लें कि समय की मात्रा महत्वपूर्ण नहीं होती, महत्वपूर्ण तो परिणाम होता है।
कोई अपने कर्मचारियों की प्रशंसा इस बात पर नहीं करता कि उसकी दो महीने की कड़ी मेहनत के बावजूद कांटेक्ट हाथ से निकल गया । अगर बॉस भला होगा तो सांत्वना दे सकता है, तसल्ली दे सकता है, लेकिन पुरस्कार नहीं दे सकता। स्टीफन कवी ने कहा है, ‘अगर आपको किसी दीवार पर चढ़ाना हो तो गलत दीवार से टिकी सीढ़ी पर तेजी से ना चढ़े। तेजी से काम करने में तभी फायदा होगा, जब सीढ़ीi सही दीवार से टिकी हो।’ यानी यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी यात्रा सही दिशा में हो रही है। हमेशा सफल लोगों के नजरिए से दुनिया को देखें । यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपने कितने समय तक काम किया, महत्वपूर्ण तो परिणाम है।
सिद्धांत 20 :- तय करें कि कौन सा काम कब करना है।
जिस तरह सभी जूते एक नाप के नहीं होते। इसी तरह सभी काम भी एक समान नहीं होते । कुछ काम महत्वपूर्ण होते हैं जिनमें ज्यादा समय और एकाग्रता की जरूरत होती है, कुछ काम छोटे होते हैं जिन्हें आसानी से कभी भी पूरा किया जा सकता है और कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें आप नहीं कोई दूसरा भी कर सकता है। यही टाइम मैनेजमेंट काम आता है, आप महत्वहीन काम दूसरों से करवा सकते हैं और समय खरीद सकते हैं। यदि किसी से मोबाइल पर बात करनी है तो उसके लिए शाम का समय चुनें। सुबह का कीमती समय फालतू कामों में बर्बाद ना करें। सुबह-सुबह टीवी से भी दूर रहें। सुबह तो अपने सबसे महत्वपूर्ण काम करें, क्योंकि सुबह के कामों से ही आपके पूरे दिन की दिशा तय होती है। अगर आप विद्यार्थी हैं तो सुबह सबसे मुश्किल विषय पढ़े । अगर आप सेल्समैन है तो सुबह सेल्स कॉल करें। चाहे आप में कितना भी अनुशासन हो और आप योजना पर कितनी भी निष्ठा से चलाते हो, कई मौके ऐसे आते हैं जब आपका काम करने का मूड नहीं होता। यही वह समय है जिसमें आपको अपने छुटपुट घरेलू और बाहरी काम निपटा लेना चाहिए। यह टीवी के सामने लेटने से तो बेहतर है।
सिद्धांत 21:- सुबह जल्दी उठें ।
एक कहावत, जिसको आज के समय में जितना नजर अंदाज किया गया है, उतना किसी दूसरी कहावत को नहीं किया गया है- जो जल्दी सोता है, जल्दी उठना है, उसके पास स्वास्थ्य, पैसा और बुद्धि रहती है। टाइम मैनेजमेंट की द्रष्टि से यह बिल्कुल भी सही नहीं है।
बहुत लोग यह तर्क दे सकते हैं कि सुबह उठना उनके बूते की बात नहीं है। रात की शांति में काम ज्यादा अच्छी तरह से होता है और रात को वह चाहे जितनी देर तक काम कर सकते हैं । लेकिन सुबह 4:00 बजे उठने पर भी शांति ही रहती है और उसमें काम अपेक्षाकृत ज्यादा अच्छी तरह होता है। मुख्य बात यह है कि उस समय काम की गति भी तेज होती है, क्योंकि शरीर और दिमाग दोनों ही तरोताजा होते हैं। रात को वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है इसलिए आपका दिमाग कम चल पाता है और दिमागी काम के लिए रात का समय अब आदर्श नहीं होता। आदर्श समय तो सुबह का ही रहता है, जब वातावरण ऑक्सीजन से भरपूर रहता है। यकीन नहीं हो तो सुबह 6:00 बजे और शाम को 6:00 बजे इस सड़क पर घूम कर देख ले।
आदर्श स्थिति में तो नियम यह है कि सूरज उगने से 2 घंटे पहले उठे और डूबने के 2 घंटे बाद सो जाएं। जब आप सुबह 4:00 बजे उठते हैं, तो आपके पास समय ही समय रहेगा। ऑफिस जाने से पहले भी आपके पास चार-पांच घंटे का समय रहेगा। इस दौरान आप व्यायाम कर सकते हैं, पूरे दिन की योजना बना सकते हैं और अपने महत्वपूर्ण काम निपटा सकते हैं। दूसरी ओर जल्दी सोने की आदत से भी आप बहुत सी समस्याओं से मुक्ति पर लेते हैं।
हमारे पूर्वजों की जीवन शैली ज्यादा स्वस्थ इसलिए होती थी क्योंकि वह प्रकृति के करीब थे। वे न सिर्फ प्राकृतिक वातावरण में रहते थे बल्कि प्रकृति की लय में कार्य करते थे। सुबह का वातावरण इतना पवित्र और शांत रहता था कि ऋषि मुनि ब्रह्म मुहूर्त में भजन पूजन करते थे। आज आधुनिकता की होड़ में कृत्रिमता का माहौल इतना बढ़ चुका है कि प्रकृति से मनुष्य का सारा संपर्क ही टूट चुका है। रात को देर तक जागने से मनुष्य की प्राकृतिक लय खत्म हो जाती है और वह सुबह देर से उठता है। नतीजा यह होता है कि उसका हाजमा खराब होता है, कब्ज की शिकायत रहती है, ताजगी और स्फूर्ति का अभाव होता है और दिन भर उसके शरीर में आलस भरा रहता है।
सिद्धांत 22 :- एक घंटा व्यायाम करें।
इंसान सोचता तो यह है कि वह अपने लिए जी रहा है। लेकिन वह जिस तरह समय खर्च करता है उससे यह लगता ही नहीं है कि वह अपने लिए जी रहा है। वह रोजमर्रा के की जिंदगी में कामों में ही लगा रहता है और वह अपने लिए समय निकाल ही नहीं पता। आपको हर दिन एक घंटा खुद के लिए निकलना चाहिए। 23 घंटे दूसरों के लिए, एक घंटा अपने लिए। इस 1 घंटे में आपको अपने शरीर की देखभाल करनी चाहिए। अपने स्वस्थ और सौंदर्य की देखभाल करने के लिए 1 घंटे का समय ज्यादा नहीं है। आखिर शरीर की बदौलत ही तो आप अपने सारे काम कर रहे हैं। अगर यही स्वस्थ न रहे तो आप इस सुंदर संसार का आनंद कैसे ले पाएंगे। यही तो वह मुर्गी है जो आपको रोज सोने के अंडे देती है और आप है कि इसी का पेट चीरने में लगे हैं ।
ध्यान रखें यदि आपने अपने शरीर का ध्यान रखने के लिए समय नहीं निकला तो आपका बाकी समय भी खतरे में पड़ जाएगा। व्यायाम एक निवेश है जिसका आपको समय प्रबंधन के संदर्भ में कई गुना फल मिलेगा। 1 घंटे में आपको अपने शरीर की देखभाल करनी है, टहलने है, व्यायाम करना ,योग क्लास या जिम जाना है । अपने शरीर की मालिश करनी है या कुल मिलाकर शरीर के स्वास्थ पर ध्यान देना है।
समय प्रबंधन के क्षेत्र में व्यायाम के कई लाभ हैं-
- आपका स्वास्थ अच्छा रहता है जिससे बीमारियों के कारण आपका कीमती समय नष्ट नहीं होता।
- आपके शरीर के साथ-साथ दिमाग में भी स्पूर्ति और चुस्ती आ जाती है।
- आपका आलस दूर हो जाता है और आप अपने महत्वपूर्ण काम जोश से करने लगते हैं
- व्यायाम से आपका शरीर गठीला रहेगा और आपका हुलिया अच्छा दिखेगा।
बस एक बात का ध्यान रखें व्यायाम सही तरीके से करें।
सिद्धांत 23 :- टीवी के संदर्भ में सावधान रहे।
टीवी के कारण आज जितना समय बर्बाद हो रहा है,उतना इतिहास में कभी किसी दूसरी वजह से नहीं हुआ। वैसे सोशल मीडिया भी बहुत तेजी से इस श्रेणी में आता जा रहा है। जरा गौर से सोचें अगर आपने टीवी नहीं देखा तो क्या आफत आ जाएगी। अक्सर होता यह है कि हम यह सोचकर टीवी देखने बैठते हैं कि बस आधा घंटा देखूंगा । आधा घंटे बाद दूसरे चैनल पर कोई अच्छा कार्यक्रम दिख जाता है और इस तरह कब 2 घंटे हो जाते हैं पता ही नहीं चलता। इस चक्कर में आपके बहुत से जरूरी काम अधूरे रह जाते हैं।
टीवी के बहुत से समर्थन इसके शैक्षिक महत्व का दावा करते हैं लेकिन मुझे तो आज तक ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला जो सिर्फ शैक्षिक महत्व के लिए टीवी देखा हो। अगर शिक्षा ही ग्रहण करनी है तो टीवी से बेहतर विकल्प मौजूद हैं – पुस्तक पढ़े या इंटरनेट से जानकारी लेना । अखबार, टीवी की तुलना में जानकारी का बेहतर साधन है। अखबार हमें पूरे संसार की जानकारी देता है और हमारा ज्ञान बढ़ता है । लेकिन, इसके दूसरे पहलू पर भी नजर डाल लें, अगर सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर का 100 वाँ शतक बना दिया तो उसके विस्तृत विवरण पढ़ने से क्या लाभ है, जब तक कि आपकी क्रिकेट में रुचि ना हो। अखबार में पढ़ने के लिए चटपटी या मसालेदार खबरों के बजाय केवल सकारात्मक या ज्ञानवर्धक खबरें ही चुने ,क्योंकि इस तरह आपका बहुत सा समय बचता है।
महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि अपने काम से काम रखें और दीगर बातों को नजर अंदाज कर दें और यह बात टीवी और अखबार के संदर्भ में ही नहीं, हर चीज पर लागू होती है।
सिद्धांत 24 :- मोबाइल का न्यूनतम उपयोग करें।
मोबाइल से दो तरह समय बर्बाद होता है या तो हम खुद ही अपना समय बर्बाद करते हैं या फिर इसके माध्यम से दूसरे हमारा समय बर्बाद करते हैं। जब भी किसी का मन होता है, वह हमारे मोबाइल की घंटी बजा देता है। हम कोई महत्वपूर्ण काम कर रहे होते हैं कि बीच में ही कोई फोन आ जाता है, इससे काम का पूरा जोश ठंडा पड़ जाता है। मोबाइल के कारण हम रात को भी चैन से नहीं सो पाते हैं, आधी रात को कोई मैसेज या फोन आकर हमारी नींद खराब कर देता है।
देखिए इंटरनेट से भी हमारा समय बर्बाद होता है लेकिन इसके ईमेल हमारी नींद खराब नहीं करते। ईमेल हम अपनी इच्छा से चेक करते हैं जबकि मोबाइल पर हमें हमेशा मौजूद रहना पड़ता है। मोबाइल से हम आजकल कितने सारे काम करते हैं, हम उस पर बात करते हैं, गाने सुनते हैं, फिल्में देखते हैं, गेम,चैटिंग, फेसबुक, नेट सर्फिंग, इंटरनेट बैंकिंग, फोटो खींचना, वीडियो बनाना और देखना ।
एक छोटे से मोबाइल की बदौलत आज दुनिया सचमुच हमारी मुट्ठी में आ चुकी है। मोबाइल पर समय की बर्बादी को देखते हुए कुछ लोग दो मोबाइल नंबर रखते हैं – एक सबके लिए और दूसरा कुछ खास लोगों के लिए। वह अपना सार्वजनिक मोबाइल नंबर शाम को बंद कर देते हैं ताकि कोई अनावश्यक रूप से उन्हें परेशान ना करें। कोई महत्वपूर्ण कॉल छूट न जाए, इसके लिए वह हर दो-तीन घंटे बाद फोन चालू करके मिस कॉल चेक कर लेते हैं।
मोबाइल, आधुनिक युग की वह देन है, जिसका फंदा आपके समय के गले में दिनों दिन कसता ही जा रहा है और यदि आपने इसका कोई इलाज नहीं किया तो यह आपके ज्यादातर समय का सत्यानाश कर देगा। इसलिए मोबाइल का न्यूनतम उपयोग करें और उससे बचने वाले समय का अधिकतम सदुपयोग करें।
सिद्धांत 25 :- इंटरनेट पर समय बर्बाद ना करें।
ज्यादातर लोग इंटरनेट को वरदान मानते हैं लेकिन जरा ठहरे, इंटरनेट अभिशाप भी सब साबित हो सकता है। हर अच्छी चीज की तरह ही इंटरनेट का भी दुरुपयोग हो सकता है और होता है। यदि आप समय बचाने का इरादा रखते हैं तो इंटरनेट के खतरे से सावधान रहें। इसमें सफरिंग सबसे प्रमुख जोखिम है। होता यह है कि आप इंटरनेट पर किसी काम से जाते हैं, तभी आपको कोई आकर्षण साइड दिख जाती है, कोई विज्ञापन दिख जाता है और आप उस पर क्लिक करके दूसरी दुनिया में पहुंच जाते हैं।
समय की बर्बादी का एक और कारण यह है कि जब आप कोई जानकारी सर्च इंजन में खोजते हैं तो आप सही तरीके से शब्दों का चयन नहीं करते। नतीजा यह होता है कि लाखों परिणाम आपकी स्क्रीन पर आ जाते हैं और जानकारी पाने मेंआपको बहुत समय लग जाता है। यदि आपको जानकारी खोजने का सही तरीका मालूम हो और आप सर्च इंजन में सही कीवर्ड डालें तो आपकी मनचाही जानकारी पलक झपकते ही मिल जाएगी।
यदि आप इंटरनेट पर ज्यादा काम करते हैं तो आपको ब्रॉडबैंड कनेक्शन पर काम करना चाहिए जिसकी गति तेज होती है। सामान्य नेटवर्क काफी धीमा होता है जिसमें आपका ज्यादा समय बर्बाद होता है। आप सबसे पहले तो यह तय कर ले करें कि आप इंटरनेट पर क्यों जाना चाहते हैं और फिर इस साइट पर वह आवश्यक जानकारी लेकर इंटरनेट बंद कर दें।
इंटरनेट के दुरुपयोग से बचने का एक और अच्छा उपाय है कि आप ऐसे समय उसका उपयोग करें, जब इसके बाद आपको कोई अति आवश्यक काम करना हो। इससे उसके दुरुपयोग का झंझट ही नहीं रहेगा। खास तौर पर रात के समय इंटरनेट का दुरुपयोग सबसे ज्यादा होता है और इसकी सीधी सी वजह है कि उस वक्त आपके पास खाली समय रहता है। यदि आप रात को जल्दी से सो जाएंगे तो इंटरनेट के अलावा भी बहुत सारे फालतू कामों से बच जाएंगे। इसलिए सुबह जल्दी उठने की आदत डालें और इंटरनेट पर होने वाले समय की बर्बादी के बारे में जागरूक रहे।
सिद्धांत 26 :- आलस से बचें।
समय बचाने के लिए आपको आलस से बचना चाहिए। जब भी सामने कोई मुश्किल काम आता है तो हम आलस करने लगते हैं और उसे टाल देते हैं। आलस का एक अहम कारण वह है जिसको अधिकांश लोग अनदेखा कर देते हैं – जरूरत से ज्यादा भोजन करना। यह स्पष्ट समझ लें कि यहां पर भोजन करने में लगने वाले समय की बात नहीं हो रही है, ज्यादा भोजन करने के परिणामों की बात हो रही है। भोजन करने में तो कम समय लगता है लेकिन भोजन के कारण उत्पन्न आलस के कारण ज्यादा समय बर्बाद होता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि हम सुबह सबसे अच्छी तरह काम क्यों कर सकते हैं। एक कारण तो यह है कि उस समय आराम कर लेने के बाद शरीर थका हुआ नहीं रहता। दूसरा कारण यह है कि सुबह ऑक्सीजन ज्यादा रहती है और तीसरा कारण यह है कि उसे वक्त हमारा पेट खाली होता है। पेट खाली रहने से दिमाग ज्यादा तेजी से चलता है इसलिए हमें एक ही बार में ज्यादा भोजन करने से बचना चाहिए ताकि हम पर आलस सवार ना हो। नियमित अंतराल पर कम आहार ग्रहण करना स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। जब आप कम खाते हैं तो आपको आलस नहीं आता और आपकी ऊर्जा व एकाग्रता लगातार बनी रहती है।
सिद्धांत 27 :- टाल मटोल ना करें।
हम टाल मटोल क्यों करते हैं, इसके कई कारण होते हैं या तो काम बोरिंग या मुश्किल होता है या उसकी कोई समय सीमा नहीं होती या उसका लक्ष्य स्पष्ट नहीं होता या आपको वह काम इतना बड़ा नजर आता है कि आपको समझ ही नहीं आता कि कहां से शुरू करें। इसके अलावा कई बार तो हम इसलिए भी टालमटोल कर जाते हैं क्योंकि हमारे पास पूरी जानकारी नहीं होती और हम सोचते हैं कि पूरी जानकारी के बगैर काम नहीं हो सकता। सो बात की एक बात, टालमटोल का कारण चाहे जो हो उसे दूर करें और आज के काम को आज ही पूरा करने की आदत डालें।
टालमटोल का सबसे आम कारण यह होता है कि किसी समय उस काम को करने का हमारा मूड नहीं होता। देखिए यह बात अच्छी तरह समझ लें कि मन चंचल है और अगर सदियों से इसे वश में रखने को कहा जा रहा है । इसका कोई अच्छा कारण ही होगा। मन कभी भी अच्छी चीजों की ओर नहीं जाता क्योंकि उनके लिए अनुशासन और श्रम की जरूरत होती है। यह तो हमेशा क्षणिक सुख और आनंद के पीछे भागता है।
टालमटोल को करने का एक स्वरूप काम को अधूरा छोड़ना भी होता है। आप किसी काम को अधूरा छोड़ते समय ये सोचते हैं कि उसे कल पूरा करेंगे। जब कल आता है तो आपको यह याद करना पड़ता है कि आपने उसे काम को किस मोड़ पर छोड़ा था। आपका लक्ष्य क्या था और आप उसे कैसा पूरे करने वाले थे। इस चक्कर में आपका बहुत सा समय बर्बाद हो जाता है ।
सिद्धांत 28 :- अगले दिन की योजना बनाकर अवचेतन मन की शक्ति का लाभ लें।
आदर्श स्थिति तो यह होती है कि आप अगले दिन की योजना एक दिन पहले रात को बना ले। एक दिन पहले योजना बनाने का लाभ यह होता है कि आपको अवचेतन मन की शक्ति का लाभ मिल जाता है। हमारे भीतर दो मन होते हैं – चेतन मन और अवचेतन मन।
चेतन मन यानी वह मस्तिष्क जो सोचता है और इसके बारे में हम जागरूक होते हैं। दूसरी ओर हमारे भीतर एक अवचेतन मन भी होता है जो हमें दिखाई तो नहीं देता लेकिन यह हमें जल्दी से और सही तरीके से काम पूरा करने के नए-नए तरीके सूझा सकता है। यदि आप वास्तव में समय प्रबंधन करना चाहते हैं तो आपको केवल चेतन मन का ही नहीं बल्कि अवचेतन मन का भी इस्तेमाल करना होगा। यही आपको ऐसे नए-नए तरीके सुझाएगा जिनकी बदौलत आप कम समय में ज्यादा काम करने के उपाय खोजने में कामयाब होंगे। एक रात पहले योजना बनाने से यह लाभ होता है कि रात भर आपकी कार्य सूची आपके अवचेतन मन में समा जाती है। अगले दिन आपको अपने आप सही क्रम सूझ जाता है और आप खुद व खुद कार्य सूची के मुताबिक काम करने लगते हैं। हो सकता है कि आपको काम करने का नया तरीका भी सूझ जाए ।
सिद्धांत 29 :- बुरी लतों से बचें।
अगर कहा जाए कि शराब समय बर्बाद करने वाली सबसे बुरी लत है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। एक तो शराब पीने में बहुत समय लगता है, इसे पीने के बाद आदमी किसी काम का नहीं रहता। वह न कुछ कर सकता है, ना किसी जगह जा सकता है, ना किसी से मिल सकता है, नहीं फोन पर ढंग से बात कर सकता है। यही नहीं शराब पीने से अगला दिन भी खराब होता है क्योंकि इसकी वजह से अगली सुबह सर दर्द या हैंगओवर हो जाता है, जो दोपहर तक चलता है। शराब की लत छोड़ने से हमारा बहुत सा समय बच जाता है और यही चीज सिगरेट के लिए भी होती है। सिगरेट पीने में भी बहुत सा समय बर्बाद होता है।
इनके अलावा एक प्रमुख आदत होती है – दूसरों की बुराई करने या इधर की बात उधर करने की । यह आदत समय प्रबंधन के लिए बहुत ही बुरी है क्योंकि इसमें आपका बहुत समय बर्बाद होता है। बहस या लड़ाई करने की आदत में भी आपका बहुत समय बर्बाद होता है, तनाव होता है सो अलग इसलिए इन आदतों से बचें।
सिद्धांत 30 :- सापेक्षता के नियम को समझें।
बहुत बार जब हम अपना प्रिय और मनपसंद काम करते हैं तो समय का एहसास ही नहीं होता। क्योंकि तब आप लय में होते हैं, जिसे मनोवैज्ञानिक रूप से फ्लो में रहना कहते हैं। इस समय आप जो काम करते हैं, वह सहज ही बेहतरीन होता है क्योंकि आप बिना ज्यादा कोशिश किये, सर्वश्रेष्ठ कार्य करते हैं। बेहतर यही है कि आप सापेक्षता के नियम को ध्यान में रखकर अपने काम को दिलचस्प बनाने के तरीके खोजे ताकि आप लय में काम कर सकें।अपने सबसे महत्वपूर्ण काम को दिलचस्प बनाएं और दिलचस्प माने।
अपने आर्थिक लक्षण को याद करते रहें और यह कल्पना करें कि उसे प्राप्त करने पर आपका जीवन कितना सुख में हो जाएगा। लक्ष्य हमारे पैरों को आगे बढ़ाने की शक्ति देते हैं और हमें कष्ट सहन करने का सबल प्राप्त प्रदान करते हैं। यदि आपका सपना, पर्याप्त शक्तिशाली है तो यह आपको लगातार आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है ।